वैदिक “ॐ” का महत्व

ॐ (ओम्) हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र और शक्तिशाली ध्वनि मानी जाती है। इसे वेदों में प्रणव मंत्र कहा गया है।

  • अर्थ: ॐ तीन अक्षरों से बना है – “अ”, “उ”, और “म”।
    • “अ” का अर्थ है सृष्टि (ब्रह्मा – उत्पत्ति)।
    • “उ” का अर्थ है पालन (विष्णु – संरक्षण)।
    • “म” का अर्थ है संहार (महेश/शिव – लय)।
  • वैदिक दृष्टि से:
    ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद सभी में ॐ का उल्लेख है। इसे सृष्टि की मूल ध्वनि माना गया है, जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड में गूंज रही है।
  • आध्यात्मिक महत्व:
    ॐ का उच्चारण मन को शांति, एकाग्रता और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। ध्यान (Meditation) और योग में ॐ का जप विशेष रूप से किया जाता है।
  • प्रतीकात्मक अर्थ:
    ॐ केवल एक शब्द नहीं, बल्कि जीवन, ब्रह्मांड और ईश्वर का प्रतीक है। यह भूत, वर्तमान और भविष्य – तीनों कालों का प्रतिनिधित्व करता है।

👉 इसलिए वैदिक परंपरा में को हर मंत्र की शुरुआत और अंत में रखा जाता है। यह हमें याद दिलाता है कि ईश्वर सर्वत्र है और हम सब उसी ऊर्जा का हिस्सा हैं।

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